Maitreya Ishwariya Prerna
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“आदि अनादि काल से "सत्य"(सर्वोपरी सता) तो एक ही है, किन्तु हर युग में, एक विशिष्ट रूप में प्रगट हो कर कोई "संबुद्ध", उनकी पवित्र और पावन "सत्य की वाणी"(अस्तित्व वाणी) से "सत्य" को उजागर करते है। उनकी विवेक प्रज्ञा को जगाकर, खुद स्वयं ही "संबुद्ध" हो, इस "सत्य" से अवगत करवाते है। अनेको जीव (अंश) को सत्य (ईश्वर) की राह पर ले चलते है और सत्य (ईश्वर) की राह पर चलना, यही तो धर्म हैं।”

- Maitreya

प्रेम से पूर्णता


“ जब मनुष्य के जीवन में "स्वयं का बोध करना, अर्थात् स्वयं के वास्तविक स्वरूप को जानना ही एकमात्र लक्ष पूर्ण निर्धार हो जाये, एवं हृदय में यदि सच्ची प्यास और उमंग हो, तब ख़ुद के लक्ष को अंजाम तक पहुँचाने हेतु, पूरा अस्तित्व आपकी सहायता करने में जुट जाता है... ”

- Maitreya

Pillars of World Peace


“ हे धरती माँ के अमूल्य स्तंभ... अब समय नहीं है लूल होने का... आज समय है पुरातन युग की भांति स्थिर और सशक्त होने का ।
धरती का संतुलन स्थापित करने हेतु आपको पुनः सशक्त होना ही होगा । ”

Spiritual Leaders

बिखरकर नहीं अब संग चले... साधु संतो की करुणा होती जग कल्याण, इस जग में चैन अमन का आप ही तो आधार।

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Teachers

आप ही राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के निर्माता हो आपके हाथों में ही भारत भूमि के उत्तराधिकारी का घड़तर है।

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Polititians

बिखरकर नहीं अब संग चले। सभी राजनीतिज्ञ की बुद्धि जब एक हो कर कार्य करेगी, तब होगा सही मे राष्ट्र का उत्थान ।

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Doctors

वेतन उतना ही अच्छा, जीतने के आप अधिकारी हो। यही तो हमारे पुरातन वैदिक चिकित्सकों की रीति थी... स्वार्थ से बढ़कर, स्वास्थ्य होता है।

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"प्रज्वलित दीपक की सहायता से ही, दूसरा दीपक प्रज्वलित होता है। बिल्कुल इसी तरह, "जीवंत संबुद्ध" (जीवंत ज्योत) के माध्यम से जिज्ञासु के हृदय का दीपक प्रज्वलित होता है और धीरे-धीरे जिज्ञासु, "संबुद्ध" के संग लगते जाते है और उनके हृदय की ज्योत, ज्ञान और प्रेम से प्रज्वलित होती जाती है। ऐसे देखते ही देखते दीपमाला बनना आरंभ हो जाती है।"
- Maitreya
Maitreya Ishwariya Prerna