Maitreya Ishwariya Prerna

Glimpse of MIP

reviewer
“गायन, नृत्य और मुक्त हास्य के समय, मनुष्य भीतर से भरा हुआ नहीं रह पाता है और तब वह अंश अपने मूल स्वभाव "आनंद" की अनुभूति करता है। क्योंकि, इस क्षण में आप पूर्णतः मुक्त होते हो...।”
- Maitreya
Maitreya Ishwariya Prerna